शाहजहांपुर में शनिवार को बादल छाए रहने से ठाया कोहरे के दौरान निकलते वाहन । संवाद
शाहजहांपुर। शुक्रवार को सुबह से शाम तक वायुदाब में उतार-चढ़ाव के बाद शाम से बैरोमीटर सूचकांक आठ अंक नीचे आया तो आसमान में निचली सतह पर बादल छाने से उमस बढ़ गई। इस वजह से रात में न्यूनतम तापमान भी मामूली रूप से बढ़ा, लेकिन शनिवार को सुबह कोहरे की धुंध छाई होने के दौरान बूंदाबांदी के साथ हवा की गति बढ़ी तो सर्दी भी बढ़ गई और थर्मामीटर का पारा गिरने लगा।
कृषि वैज्ञानिक के अनुसार इन दिनों रबी सीजन की फसलों को पानी की आवश्यकता नहीं है, बल्कि बूंदाबांदी जारी रहने की दशा में आलू की फसल अर्ली ब्राइट रोग की चपेट में आ सकती है। दो दिन पहले तक दिन में अधिकतम तापमान 29.6 डिग्री सेल्सियस रहा जो बीते दिन 0.3 डिग्री कम हुआ और आज मौसम ने करवट बदली तो दिन में पारा 0.1 डिग्री और घटकर 29.2 डिग्री सेल्सियस हो गया।
मौसम में बदलाव के संकेत दो दिन पहले से मिलने लगे, जब बादलों की धुंध नीचे उतरकर हल्के कोहरा में बदलने लगी। बीते दिन सुबह से शाम और रात में तीन बार वायुदाब में परिवर्तन का नतीजा यह हुआ कि आधी रात के बाद से बादल घने होने लगे और सुबह से शहर समेत ग्रामीण अंचलों में बूंदें गिरने लगीं। इससे वातावरण में नमी 53 से बढ़कर 90 प्रतिशत हुई तो हवा भी ठंडी होकर सर्दी बढ़ाने लगी और न्यूनतम तापमान भी 0.2 डिग्री घटकर 14.5 डिग्री सेल्सियस हो गया।
अभी तक गुलाबी सर्दी के दौर में ज्यादातर लोग हॉफ स्वेटर, जैकेट आदि पहनकर बेफिक्र घूमते नजर आते थे, लेकिन आज सर्दी ने तीखे तेवर दिखाए तो सुबह से लोग फुल स्वेटर, पुलोवर, कोट-पैंट, मफलर-कैप आदि से लैस होकर घरों से बाहर निकले। मौसम खराब होने के कारण अधिकांश लोग घरों में बने रहे और इस वजह से बाजारों में चहल-पहल भी कम रही। गन्ना शोध परिषद के मौसम विश्लेषक सुरेंद्र सिंह के अनुसार वायुदाब में विचलन को देखते अगले 24 घंटे तक मौसम असामान्य बना रहेगा और धूप कम निकलेगी।
आलू की देखभाल करते रहें किसान
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभरारी अधिकारी एवं वरिष्ठ शस्य वैज्ञानिक डॉ. एनसी त्रिपाठी का कहना है कि जनपद के अधिकांश इलाकों में गेहूं की बुआई हो चुकी है। पिछले माह हुई भारी वर्षा के कारण खेतों में पर्याप्त नमी पहले से है और इस कारण आज हुई बूंदाबांदी फसलों को फायदा देने के बजाय नुकसान पहुंचाएगी।
उनका कहना है कि धूप नहीं निकलने और मामूली बूंदाबांदी जारी रहने की दशा में तापमान गिरने से गेहूं में अंकुरण की गति धीमी होगी और एक माह पहले बोए गए शीध पकने वाली प्रजाति के आलू की फसल पर अर्ली ब्राइट रोग हमला कर सकता है। इस रोग से ग्रस्त आलू के पौधों की पत्तियों भरे और लाल रंग के गोल धब्बे दिखने लगते हैं।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. त्रिपाठी के अनुसार इस रोग के लक्षण दिखने पर किसानों को उससे बचाव के लिए आवश्यक रसायनों का इस्तेमाल करना जरूरी हो जाएगा। इस स्थिति में मैंकोजेब 72 प्रतिशत तीव्रता वाले रसायन की एक लीटर मात्रा 250 से 300 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करना लाभकारी होगा।