शाहजहांपुर। तीन बच्चियों की हत्या के मुकदमे में फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने पुलिस पर सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि निर्दोष पिता को गलत सुबूतों के बल पर हत्यारा बताते हुए पुलिस ने जेल भेज दिया। इससे समाज में गलत संदेश गया है कि पुलिस सर्वशक्तिमान है। वह निर्दोष को दोषी और दोषी को निर्दोष बनाने में सक्षम है।
अपर सत्र न्यायाधीश सिद्धार्थ कुमार वागव ने तीन बच्चियों की हत्या को दुर्लभ में दुर्लभतम करार देने के पीछे तर्क दिए। कोर्ट ने कहा कि दोषी राजेंद्र और नरवेश छुटकन्नू (अब मृत) के साथ अवधेश के घर में घुस गए और तीन छोटी मासूम बच्चियों की गोली मारकर क्रूरतापूर्वक हत्या कर दी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट इस तथ्य को साबित करती है। हत्या के बाद दोषियों ने जांच अधिकारी होशियार सिंह से मिलीभगत कर ली। फर्जी सुबूत तैयार कर प्रधान के पति दिनेश कुमार की झूठी गवाही पर निर्दोष पिता को ही हत्यारा बनाकर जेल भेज दिया।
अदालत ने कहा कि यह केस दुर्लभतम इसलिए भी है, क्योंकि जिस पुलिस अधिकारी की यह ड्यूटी थी कि वह निर्दोष को सुरक्षा दे और दोषी को सजा दिलाए, उसने अपने कर्तव्य के विपरीत कार्य किया। पुलिस अधिकारी ने जांच के दौरान निर्दोष पिता के खिलाफ झूठे साक्ष्य एकत्र किए और गवाहों के मनगढ़ंत बयान दर्ज किए जो उन्होंने कभी दिए ही नहीं। अदालत ने कहा कि जांच अधिकारी ने समाज में गलत संदेश दिया है कि पुलिस सर्वशक्तिमान है।
पुलिस दोषी हत्यारों को निर्दोष और निर्दोष-लाचार को दोषी हत्यारा बनाने में पूरी तरह सक्षम है। एक बड़ी आबादी को यह संदेश गया है कि पुलिस में शिकायत कराने आने से पहले होशियार हो जाएं, वरना पसंद न आने पर पुलिस दोषी को निर्दोष और निर्दोष को दोषी बना देगी। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अतीत में कई भयंकर हत्याकांड हुए हैं। यह भी नया या अलग नहीं है। एक से ज्यादा लोगों की हत्या के मामले में अक्सर देखा जाता है कि हत्यारों द्वारा क्रूरता बरती गई। मगर यह केस इसलिए दुर्लभतम श्रेणी का है, क्योंकि इसमें पुलिस ने वास्तविक हत्यारों के साथ मिलकर निर्दोष पिता को फंसाकर उसे हत्यारा बना दिया।
जांच अधिकारी ने दोषियों से आपराधिक सांठगांठ कर और दिनेश के सहयोग से तीन छोटी-छोटी परियों के पिता अवधेश को हत्यारा बनाकर जेल भेज दिया। वे छोटी बच्चियां बड़ी होकर एक दिन किसी की पत्नी, मां, बहू बनतीं। दोषियों ने जांच अधिकारी और दिनेश कुमार के साथ मिलकर पिता अवधेश और मां शशि को उनकी तीन प्यारी बेटियों के साथ से वंचित कर दिया। इसीलिए अदालत का यह मानना है कि दोषियों को उसी अनुपात में सजा मिलनी चाहिए।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि न्यायिक फैसला तब तक पूरा नहीं माना जा सकता, जब तक कि जांच अधिकारी होशियार सिंह और अवधेश के खिलाफ गवाही देने वाले प्रधान पति दिनेश कुमार को सजा नहीं मिलती। अदालत ने आईपीसी की धारा 194 के तहत मुकदमा चलाने के लिए होशियार सिंह और दिनेश कुमार को गैर जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया है।