शाहजहांपुर। गांव में अपने बेटे अनमोल की फोटो दिखाती मां, पिता रामवीर और अन्य परिजन। संवाद
शाहजहांपुर। अनमोल के पिता रामवीर को जब दोषियों को मृत्युदंड मिलने की खबर मिली तो उसने भगवान और अदालत को धन्यवाद दिया। छह साल पहले बेटे को खो चुके रामवीर ने कहा कि दोषियों को सही दंड मिला है। मेरा बेटा तो वापस नहीं आएगा, लेकिन ऐसी सजा से अपराधियों में खौफ जरूर होगा।
दिल दहला देने वाली घटनाक्रम को याद करते हुए रामवीर ने बताया कि 28 जनवरी, 2015 की सुबह बेटा अनमोल अपनी बुआ के बेटे सौरभ के साथ स्कूल जा रहा था। वारदात स्थल से करीब दो सौ मीटर दूर वह अपने खेत में भाई छोटेलाल के साथ दवा का छिड़काव कर रहे थे। तभी अचानक गोली चलने की आवाज सुनाई दी। तब मालूम नहीं था कि दिल के टुकड़े पर ही गोली चली है।
वह और छोटा भाई भागकर गोली चलने की आवाज की दिशा में गए। सामने खून से लथपथ अनमोल पड़ा था। उसने दम तोड़ दिया था। सामने बेटे की लाश देखकर कलेजा मुंह को आ गया। बेटे की हत्या करने वाले मनोज और सुनील को कोर्ट ने मृत्युदंड की सजा सुनाई है, इसके लिए वह आभारी हैं। लग रहा है कि संसार में अभी न्याय जिंदा है। रामवीर की बड़ी बेटी साधना (17), अनुराग (15), ध्यानू (चार) हैं। साधना बीए प्रथम वर्ष की छात्रा है।
अनमोल की मां बेबीरानी सजा की बात पता चलने पर बेटे को याद कर रोने लगी। माता-पिता ने कहा कि अनमोल कभी लौटकर नहीं आएगा। हत्यारों को मासूम पर जरा-भी तरस नहीं आया था। आज अदालत ने एकदम सही सजा सुनाई है। भगवान जो करेगा, सही करेगा।
चार किलोमीटर तक किया था पीछा
अनमोल के चाचा प्रदीप ने बताया कि गोली की आवाज सुनने के बाद परिजन और तमाम लोग मौके पर पहुंच गए थे। वह खुद भी घटनास्थल पर थे। गोली मारने के बाद उन्होंने मनोज को और उसके चचेरे भाई को भागते देखा था। मनोज के हाथ में तमंचा था। ग्रामीणों ने उनका करीब चार किलोमीटर तक पीछा किया था। पीछा करने के दौरान कई बार मनोज ने पीछे मुड़कर ग्रामीणों को गोली मारने की धमकी भी दी थी। तभी पास के एक गांव में रहने वाले रिश्तेदार के घर मनोज और सुनील छुप गया था।
बताया कि दोषी मनोज और सुनील पड़ोसी गांव जल्लापुर के रहने वाले हैं। घटना से करीब चार माह पहले मनोज का भाई विनोद उनके गांव निकुर्रा में आकर रहने लगा था। उसने गांव में तैनात रहे बीएलओ से साठगांठ करके रामवीर के पते पर अपना मतदाता पहचान पत्र बनवा लिया था। इसका विरोध रामवीर ने किया था। रामवीर ने तहसील दिवस में शिकायत कर दी थी। बाद में गांव में ही विनोद की हत्या कर दी गई थी। विरोध करने को विनोद के भाई मनोज और उसके चचेरे भाई ने रंजिश मान ली थी।
मीडियाकर्मियों के पहुंचने पर हुई सजा की जानकारी
बुधवार को जब कोर्ट में दोषी मनोज और सुनील को सजा-ए-मौत सुनाई जा रही थी, उस वक्त अनमोल का परिवार कोर्ट में नहीं था। अनमोल के परिवार को यह तक नहीं पता था कि आज उनके बेटे की हत्या करने वालों को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई। फैसला आते ही तमाम मीडियाकर्मी रामवीर केे घर पहुंच गए। मीडियाकर्मियों के बताए जाने पर परिवार को पता चला कि अनमोल के हत्यारों को सजा हुई है।
हत्या के बाद झाड़ियों में फेंक दिया था तमंचा
बच्चे अनमोल की हत्या करने वाले सुनील और मनोज 28 जनवरी, 2015 को वारदात के बाद तत्कालीन थाना प्रभारी सुरेशपाल सिंह ने सुनील को दसिया ग्राम तिराहे से गिरफ्तार किया था। उसके पास से वारदात में प्रयुक्त तमंचा बरामद हुआ था। वहीं 12 फरवरी को मनोज की निशानदेही पर पुलिस ने नौगवां से लक्ष्मणपुर जाने वाले पक्के मार्ग पर सड़क किनारे वारदात में इस्तेमाल तमंचा बरामद कर लिया था। बरामद खोखा वारदात में चलाई गई गोली का था। मनोज ने बताया कि अनमोल को गोली मारने के बाद जब वे लोग भागे थे तो यह तमंचा और खोखा झाड़ियों में फेंक दिया था।