जेल अधीक्षक बीडी पांडेय
शाहजहांपुर। जिला कारागार अधीक्षक बीडी पांडेय ने बताया कि सुनील और मनोज को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। दोनों दोषी पहले से जेल में बंद हैं। सजा सुनाए जाने के बाद उन्हें जेल दाखिल कर दिया गया है। दोषी सुनील को बैरक नंबर दो और मनोज को बैरक नंबर चार में रखा गया है। सुनील कैदी नंबर 228 और मनोज कैदी नंबर 229 है। घटना के बाद से दोनों जेल में बंद है। मौजूदा समय में फांसी की सजा पाने वाले चार कैदी जेल के अंदर हैं। सभी पर विशेष नजर रखी जा रही है। संवाद
मनोज ने खुद को फंसाने की दी थी दलील
हत्या के दोषी मनोज ने अदालत में कहा कि उसके भाई विनोद की हत्या अनमोल के पिता के चाचा रघुनंदन और बदन सिंह ने की थी। इसी रंजिश और पार्टीबंदी में उसे फंसाया गया है। उसने हत्या नहीं की। हालांकि अदालत ने साक्ष्यों के आधार पर मनोज की दलील न मानकर उसे मृत्युदंड का आदेश दिया। बचाव पक्ष की ओर से अदालत में पांच लोगों को मौखिक साक्षी के रूप में परीक्षित किया गया। अभियोजन की ओर से मौखिक साक्ष्य में अभियोजन साक्षी के रूप में सात लोगों को परीक्षित किया गया।
फैसले के बाद गांव में सन्नाटा
छह साल पहले ही अनमोल हत्याकांड की घटना घटित हुई थी। अदालत का फैसला आने के बाद लोगों के जेहन में हत्याकांड की यादें ताजा हो गईं। दोषी सुनील और मनोज ग्राम पंचायत गुनौरा दाउदपुर के मजरा जल्लापुर के रहने वाले हैं। मजरा में कुछ परिवार ही रहते हैं। फैसले के बाद गांव में सन्नाटा फैल गया। फैसले को लेकर लोग आपस में चर्चा करते नजर आए। गांव निकुर्रा में भी लोग अदालत के फैसले पर चर्चा करते नजर आए। लोगों का कहना था कि मासूम बच्चों के हत्यारों को अदालत ने उचित सजा दी है।