शाहजहांपुर। आठ साल के बच्चे की गोली मारकर हत्या करने के दोषी मनोज और सुनील को सजा-ए-मौत देते हुए अदालत ने कहा कि उनका कृत्य अत्यंत गंभीर, जघन्य एवं बर्बरतापूर्ण है। देश का कानून व समाज इस बात की किसी भी व्यक्ति को अनुमति नहीं देता है कि वह किसी भी व्यक्ति की अकारण हत्या कर दे अथवा जान ले ले। देश व समाज में ऐसे लोगों को रहने का कोई हक नहीं है।
अपने फैसले में अदालत ने कहा कि दोषियों के दंडादेश के संबंध में उदार रवैया नहीं अपनाया जा सकता। न्यायालय को यह विश्वास नहीं है कि मनोज और सुनील को सुधार का अवसर दिया जाता है तो वह पुन: इस प्रकार के बर्बर तरीके को फिर प्रयोग में न लाते। दोषसिद्ध अपराधी मनोज और सुनील ने स्कूल जा रहे बच्चे की हत्या की है। उस बच्चे द्वारा भविष्य में समाज को दिए जाने वाले योगदान को नगण्य कर दिया।
इस प्रकार यह मामला विरल से विरलतम की श्रेणी में आता है। इस प्रकार की विकृत मानसिकता वाले व्यक्तियों को यदि कठोर से कठोरतम दंड नहीं दिया जाता तो इससे समाज में यह संदेश जाएगा कि कोई भी व्यक्ति कितना भी जघन्य अपराध करे, उसका कुछ नहीं होगा। यदि दोषियों को आजीवन कारावास का दंड दिया जाता है तो वह न्यायालय की दृष्टि में अपर्याप्त होगा। मृत्युदंड से कम सजा दिया जाना न्यायोचित नहीं होगा। मनोज और सुनील को तब तक लटकाया जाए जब तक कि उनकी मृत्यु न हो जाए।
दोनों दोषियों ने एक-एक गोली मारी
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक अनमोल के सिर के दाहिनी ओर कान के पास तथा एक अन्य आग्नेयास्त्र प्रवेश घाव मस्तिष्क से मुंह तक सिर के दाहिनी तरफ कान के पास था। उसकी ऑक्सीपिटल (सिर के पीछे का हिस्सा) हड्डी टूटी हुई थी। मस्तिष्क फटा हुआ था। मस्तिष्क से दो प्लास्टिक के टुकड़े तथा 142 छोटे धातु के टुकड़े विकृत अवस्था में पाए गए थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट तथा विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि दोषियों ने अनमोल के सिर में दो गोलियां मारी थीं। रिपोर्ट के मुताबिक सुनील से बरामद तमंचे से गोली का चली थी।
अदालत ने नहीं मानी सुनील के पोलियोग्रस्त होने की दलील
कोर्ट में बचाव पक्ष ने सुनील के पक्ष में यह दलील दी थी कि वह बचपन से पोलियोग्रस्त है और बिना सहारे के नहीं चल सकता है। अदालत ने तमाम गवाहों के इस संबंध में बयान सुने। अदालत ने कहा कि सुनील व्यक्तिगत रूप से उपस्थित है। वह ठीक प्रकार से चल रहा है। यह कथन बिल्कुल अविश्वसनीय है कि वह पोलियोग्रस्त है, वह बिना सहारे के चल नहीं पाता है।
विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट से यह भी साफ है कि सुनील से बरामद तमंचे से ही गोली चली। इसलिए सुनील की दिव्यांगता के दृष्टिगत उसको दिए जाने वाले दंडादेश के संबंध में उदार दृष्टिकोण नहीं अपनाया जा सकता। इसके अलावा बचाव पक्ष ने दोनों दोषियों का कोई आपराधिक इतिहास न होने की दलील भी अदालत में दी।
सुनील ने जेल में रहकर पास की थी 12वीं की परीक्षा
सुनील के पिता ननकू सिंह ने बताया कि जिस समय घटना हुई थी, उस समय बेटा सुनील गांव कई किलोमीटर दूर एक मेले में था। सुनील दिव्यांग है, वह हत्या कैसे कर सकता है। घटना के समय सुनील कक्षा 11वीं में पढ़ता था। इसके बाद वह जेल चला गया था। जेल में रहकर ही सुनील ने 12वीं की परीक्षा पास की थी। मनोज ने भी 12वीं तक पढ़ाई की है।
ननकू सिंह ने कहा कि अनमोल की हत्या थाना मदनापुर के रहने वालेे कुछ लोगों ने की है। पुलिस को इसकी सारी जानकारी है, लेकिन पुलिस ने एक गवाह की गवाही के आधार पर बेटे सुनील और भतीजे मनोज को जेल भेज दिया है। बेगुनाह बेटे और भतीजे को फांसी की सजा सुनाई गई है। अब वह उच्च न्यायालय में अपील करेंगे।