शाहजहांपुर। कमीशन के आधार पर बिजली बिलों के वितरण कार्य जोड़ी गईं स्वयं सहायता समूह की प्रशिक्षित महिलाओं (विद्युत सखी) ने चार लाख, 96 हजार, 700 रुपये बिजली राजस्व विभागीय कोष में जमा कराया है। महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) ने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को पहले उचित दर की दुकानों का आवंटन कराया और अब उन्हें कमीशन के आधार पर बिजली बिलों के वितरण कार्य से जोड़ने की पहल की है।
अधिकारियों के अनुसार स्वयं सहायता समूह से जुड़ी लगभग 271 महिलाओं का चयन इसके लिए किया गया। इनमें से 95 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है और 63 महिलाओं को ई-वालेट (बिल निकालने की मशीन) भी मुहैया कराई गई हैं। इनमें से 26 विद्युत सखियां अब तक चार लाख, 96 हजार, 700 रुपये बिजली राजस्व विभागीय कोष में जमा करा चुकी हैं। शुरुआत में ग्रामीण क्षेत्र के कुछ विद्युत वितरण खंडों में प्रयोग के तौर पर प्रशिक्षित महिलाओं को इस कार्य मे लगाया गया, लेकिन योजना सफल होने पर अब सभी ब्लॉकों में लागू की जा रही है।
इसलिए महिलाओं को बिजली बिल वितरण से जोड़ा
मीटर रीडरों के स्तर से घर बैठे मनमाने तरीके से बिजली बिल जारी किए जाने से न सिर्फ उपभोक्ता, बल्कि पावर कारपोरेशन के अभियंता भी परेशान हैं। संविदा मीटर रीडरों की मनमानी से छुटकारा पाने के लिए स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को इस कार्य से जोड़े जाने का निर्णय किया गया। अधिकारी भी मानते हैं कि महिलाओं के काम करने से बिल संबंधी शिकायतों में कमी आने के साथ विभाग का राजस्व भी बढ़ेगा। महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों का पावर कारपोरेशन के संबंधित वितरण खंडों के अधिशासी अभियंताओं से अनुबंध कर लिया है। जिले में 2.67 लाख ग्रामीण उपभोक्ता हैं और एक हजार उपभोक्ताओं पर कम से कम एक महिला को इस काम से जोड़ने का निर्णय किया गया है।
ई-वॉलेट चलाने के लिए दिया प्रशिक्षण
एनआरएलएम के तहत गठित प्रत्येक समूह में दस से लेकर 20 महिलाएं शामिल हैं। बिजली बिल निकालने के लिए ऐसे समूह चिह्नित किए, जिनमें महिलाएं इतनी पढ़ी-लिखी हों कि ई-वालेट चला सकेें। योजना के पहले चरण में सिंधौली, निगोही, भावलखेड़ा, पुवायां और बंडा ब्लॉक का चयन किया है। समूहों की महिलाओं को ई-वॉलेट चलाने का प्रशिक्षण देने के लिए कन्नौज से 60 प्रशिक्षित महिलाओं को यहां बुलाकर गांव-गांव भेजा गया। प्रशिक्षण के लिए तीन-तीन महिलाओं की 20 टीमें बनाकर प्रत्येक टीम को हर गांव में 20 दिन ठहराव लेकर समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित कराया है।
ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा मिलेगा कमीशन
शासन ने बिजली बिलों की वसूली करने वाली महिलाओं को कमीशन की दरें अलग-अलग तय की हैं। ग्रामीण क्षेत्र मेें 2000 रुपये तक बिजली बिल जमा करने पर 20 रुपये प्रति ट्रांजेक्शन देय होगा। बिल दो हजार रुपये से अधिक और 4999 रुपये तक होने पर एक प्रतिशत कमीशन मिलेगा। नगर क्षेत्र मेें 3000 रुपये तक बिल जमा करने पर 12 रुपये प्रति ट्रांजेक्शन की दर से कमीशन देय होगा, लेकिन बिल 3000 रुपये से 49999 रुपये तक जमा होने पर 0.40 प्रतिशत कमीशन दिया जाएगा।
लाभार्थी बोलीं- कमीशन से पूरे होते हैं घर के खर्च
हमें ई-वॉलेट चलाने की ट्रेनिंग देर से मिली। समय से मशीन भी नहीं मिली। इसलिए बिजली बिल जारी करने और बिल की रकम जमा करने का काम शुरू किए दो-तीन माह हुए हैं। मशीन में चार हजार रुपये रिचार्ज कराया और 3300 रुपये के बिल जारी किए हैं। कमीशन से गृहस्थी के खर्च पूरे होंगे। -अनुपम देवी, मां सरस्वती स्वयं सहायता समूह, कीरतपुर कुइयां (सिंधौली)
बीए तक पढ़ने के बाद शादी हुई। ससुराल में खेती बहुत कम है। खर्च उठाने में पति का सहयोग करने के लिए स्वयं सहायता समूह से जुड़कर बिजली बिल जारी करने का काम शुरू किया। छह माह से 60 हजार रुपये जमा कराए, लेकिन अभी कमीशन और ई-वॉलेट रिचार्ज के लिए धनराशि नहीं मिली है।
-अंगूरा देवी, लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह, मुबारकपुर (पुवायां)
योजना की शुरुआत पांच ब्लॉकों से हुई, लेकिन स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के रुझान को देखते योजना का विस्तार किया है। समूहों को दिए जा रहे रिवाल्विंग फंड से चयनित महिलाओं को 4500 रुपये कीमत की ई-पॉस मशीन खरीदनी होती है। चयनित विद्युत सखियों से सहमति पत्र भी लिए हैं। ई-वॉलेट मशीन रिचार्ज कराने के लिए इन समूहों को अतिरिक्त रिवाल्विंग फंड दिया जा रहा है और कमीशन का भुगतान भी जल्द शुरू हो जाएगा। -हसीब अंसारी, एनआरएलएम के प्रभारी उपायुक्त (स्वरोजगार)



अंगूरा देवी ।- फोटो : SHAHJAHANPUR