यूपी टीईटी पेपर लीक: परेशान सरकार सरकारी स्कूल की जगह निजी स्कूलों को परीक्षा केंद्र क्यों बना रही है?

यूपीटीईटी के पेपर लीक ने परीक्षाओं के आयोजन पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। एक बड़ा मुद्दा प्राइवेट स्कूलों को परीक्षा केंद्र बनाने का भी है। राजकीय और सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूल, अच्छी ख्याति के सीबीएसई-सीआईएससीई बोर्ड के स्कूल, डिग्री कॉलेज और विश्वविद्यालय होने के बावजूद दागी निजी स्कूलों को परीक्षा का जिम्मा दे दिया जाता है। ये स्थिति तब है जबकि पेपर लीक और नकल के ज्यादातर मामलों में प्राइवेट स्कूलों की भूमिका संदिग्ध होती है।

निजी स्कूल से जुड़े चंद रुपयों की लालच में नकल माफिया से साठगांठ कर लेते हैं। जिम्मेदार संस्था के अफसर कहते हैं कि जिलाधिकारी से केंद्रों की सूची मांगी जाती है। ऐसे में उनके हाथ में कुछ नहीं होता। जबकि सच यह है कि सेंटर का सारा खेल डीएम कार्यालय से ही होता है। निजी स्कूल के प्रबंधक जोड़तोड़ करके अपने स्कूल को केंद्र बनवाते हैं। उसी में से कुछ स्कूल के प्रबंधक और स्टाफ अधिक रुपयों की लालच में परीक्षा की गोपनीयता से समझौता कर लेते हैं।

राजकीय और सहायता प्राप्त स्कूलों में सरकारी शिक्षकों की ही ड्यूटी लगती है। जबकि निजी स्कूल कई बार ऐसे लोगों की भी ड्यूटी लगा देते हैं जो किसी स्कूल में शिक्षक नहीं होते। स्कूलों को प्रति परीक्षक प्रति पाली 750 रुपये या अधिक मिलते हैं और वे 200 से 300 रुपये में बाहरी लोगों की ड्यूटी लगा देते हैं। इनका कोई सत्यापन भी नहीं होता।

केंद्र निर्धारण के निर्देश में भी स्पष्टता नहीं
संवेदनशील परीक्षाओं के केंद्र निर्धारण में स्पष्टता नहीं होने से भी निजी स्कूलों को लाभ मिल जाता है। उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग अपनी परीक्षाओं के लिए जिलाधिकारी से जो केंद्रों की सूची मांगता है, उसमें इस बात का जिक्र नहीं होता है कि किन संस्थाओं को केंद्र निर्धारण में प्राथमिकता दी जाए। यदि इसे स्पष्ट कर दिया जाए कि सबसे पहले राजकीय, उसके बाद सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय, फिर डिग्री कॉलेज, सीबीएसई-सीआईएससीई बोर्ड के अच्छे स्कूल, विश्वविद्यालय केंद्र बनाए जाएं। कोई केंद्र न मिलने पर ही अच्छी ख्याति के प्राइवेट स्कूलों को ही सेंटर बनाया जाए।

सामूहिक नकल कराने वाले स्कूल में आरओ-एआरओ का सेंटर
पांच दिसंबर को प्रस्तावित समीक्षा अधिकारी-सहायक समीक्षा अधिकारी (आरओ-एआरओ) परीक्षा 2021 के लिए जिले में एक ऐसे स्कूल को केंद्र बना दिया गया है जो यूपी बोर्ड की परीक्षा में सामूहिक नकल के आरोप में डिबार हो चुका है। श्रीमति फूलपति देवी इंटर कॉलेज बम्हरौली को 2018 की यूपी बोर्ड परीक्षा के दौरान सामूहिक नकल के आरोप में 2019 से 2021 तक डिबार कर दिया गया था। लेकिन पांच दिसंबर को प्रस्तावित परीक्षा के लिए फूलपति देवी स्कूल में तीन केंद्र ब्लॉक ए, बी और सी करके बनाए गए हैं। यहां 1344 अभ्यर्थियों को सेंटर आवंटित किया गया है।

प्राइवेट स्कूलों की करतूत

69000 भर्ती: धांधली में प्रबंधक की हुई थी गिरफ्तारी
परिषदीय स्कूलों की 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में धांधली के आरोप में पंचम लाल आश्रम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्रबंधक और भाजपा से जुड़े रहे स्कूल प्रबंधक चंद्रमा यादव समेत सात लोगों को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था। चंद्रमा यादव पर पूर्व जिला पंचायत सदस्य डॉक्टर कृष्ण लाल पटेल के साथ मिलकर पेपर आउट कराने से अभ्यर्थियों को नकल कराने तक के आरोप लगे थे। एसटीएफ ने दावा किया था कि स्कूल प्रबंधक चंद्रमा यादव अपने स्कूल से पेपर आउट कराकर सॉल्वर गैंग को भेजता और वहां से आंसर छात्रों को ब्लूटूथ डिवाइस की मदद से बताया जाता।

एक रोल नंबर के दो उत्तरपत्रक पर स्कूल की मान्यता गई
राज्य अभियंत्रण सेवा (सामान्य/विशेष चयन) परीक्षा 2019 में थरवई के परीक्षा केंद्र से एक रोल नंबर के दो उत्तरपत्रक मिलने के मामले में लोक सेवा आयोग ने सख्त कार्रवाई की थी। आयोग ने इसी साल 20 जुलाई को जेआरडी पाल इंटर कॉलेज थरवई की मान्यता समाप्त करने के लिए और संबंधित पदाधिकारियों को अन्य विद्यालय में भी कोई दायित्व न देने के लिए शासन को पत्र लिखने का निर्णय लिया था। इस स्कूल के साथ ही केंद्र अधीक्षक, निरीक्षक और प्रबंधक को भी भविष्य में आयोग की सभी परीक्षाओं से डिबार कर दिया गया था।

आरओ-एआरओ, पीसीएस का भी पेपर केंद्र से आउट
27 नवंबर 2016 को प्रदेश के कई जिलों में हुई समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी (आरओ-एआरओ) 2016 के प्री का पेपर भी स्कूल से आउट हो गया था। लखनऊ के एक सेंटर से इसका पेपर परीक्षा से पूर्व व्हाट्सएप पर वायरल हो गया था। इसी प्रकार 29 मार्च 2015 को लखनऊ के आलमबाग स्थित एक परीक्षा केंद्र से पीसीएस प्री 2015 का पेपर आउट हो गया था। चर्चा थी कि स्कूल के संचालक ने दो अध्यापकों के साथ मिलकर पेपर की फोटो खींची थी और व्हाटसएप पर डाल दिया था। पहले तो आयोग ने पेपर आउट से इनकार किया था लेकिन बाद में शासनस्तर से दबाव बनने पर सिर्फ सामान्य अध्ययन प्रथम प्रश्न पत्र की परीक्षा निरस्त कर 10 मई 2015 को दोबारा कराई।

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