शाहजहांपुर। तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश अहसान हुसैन ने महिला की हत्या के अपराध में पति प्रेमपाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। साक्ष्य के अभाव में जेठ और जेठानी को बरी कर दिया।
सरकारी वकील विनोद कुमार शुक्ला और नीलिमा सक्सेना के मुताबिक पीलीभीत के बीसलपुर थाना क्षेत्र के गांव उगनपुर मरौरी निवासी लालबहादुर ने अपनी छोटी बहन कुसुम देवी का विवाह बंडा थाना क्षेत्र के गांव भंवरखेड़ा निवासी प्रेमपाल से किया था। 10 अक्तूबर 2015 की शाम चार बजे बहनोई प्रेमपाल ने फोन कर बताया कि उसकी बहन ने आग लगा ली है। सूचना मिलने पर वादी लाल बहादुर परिजन के साथ मौके पर पहुंचा तो देखा कि बहन का शरीर पूरा जला हुआ था। इधर-उधर रजाई-गद्दे जले हुए पड़े थे। बहन के मुंह में रुई ठुंसी हुई थी। मौके पर मिट्टी का तेल नहीं था। वादी ने बताया कि आग लगाने का नाटक पति प्रेमपाल ने अपने परिजन के साथ किया था। उसकी बहन ने आग नहीं लगाई थी। उन सब लोगों ने मिलकर फंदे से उसकी बहन का गला घोटा और ऊपर से रजाई-गद्दे डालकर आग लगा दी। उसकी बहन को पति प्रेमपाल, ससुर हरीशंकर, सास, जेठ राजपाल, जेठानी आशा ने बेरहमी से पीटकर गले को फंदे से कसने के बाद आग लगाकर मार डाला है। रिपोर्ट दर्ज करने के बाद विवेचक ने पति प्रेमपाल, जेठ राजपाल और जेठानी आशा के खिलाफ आरोप पत्र अदालत में भेजा। न्यायालय में मुकदमा चलने के दौरान गवाहों के बयानात और सरकारी वकीलों के तर्कों को सुनने के बाद अदालत ने पति प्रेमपाल को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साक्ष्य के अभाव में जेठ राजपाल और जेठानी आशा को बरी कर दिया। प्रेमपाल पर लगे एक लाख रुपये जुर्माने में से 30 प्रतिशत मृतका के भाई लालबहादुर और तेजराम को बतौर क्षतिपूर्ति देने के आदेश अदालत ने दिए हैं। मृतक कुसुम की छह साल की बेटी अपने मामा के पास रहती है।