महंत नरेंद्र गिरि की मौत का मामला : मठ और मंदिर की प्रतिष्ठा को आनंद ने ठेस पहुंचाई, इसीलिए वसीयत से हटाया 

महंत ने आस्ट्रेलिया का नाम नहीं लिया लेकिन लिखा कि विदेशों में धर्म विरोधी गतिविधियों में आनंद शामिल। गंगा सेना बनाई जिसका बाघंबरी मठ और हनुमान मंदिर से कोई ताल्लुक नहीं।

Prayagraj News : महंत नरेंद्र गिरि और योग गुरु आनंद गिरि। फाइल फोटो

महंत ने नरेंद्र गिरि ने दस साल के अंदर तीन वसीयतें लिखी थीं लेकिन अंतिम वसीयत में उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि आनंद ने मठ और मंदिर की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई। इसीलिए उन्हें उत्तराधिकारी के पद से हटाया जा रहा है। नरेंद्र गिरि ने वसीयत में आस्ट्रेलिया का नाम तो नहीं लिखा लेकिन इशारों में बताया कि वह विदेशों में धर्मविरोधी गतिविधियों में शामिल था। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मठ, मंदिर और साधु समाज की छवि को नुकसान पहुंचा। सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में तीनों वसीयतों को भी भी आधार बनाया है।

नरेंद्र गिरि ने चार जून 2020 को अधिवक्ता ऋषि शंकर द्विवेदी के मार्फत नई वसीयत बनवाई थी। इसमें उन्होंने स्वामी बलवीर गिरि को उत्तराधिकारी घोषित करते हुए आनंद गिरि को हटा दिया था। नई वसीयत में नरेंद्र गिरि ने लिखा था कि आनंद गिरि ने बाघंबरी मठ से अलग गंगा सेना नाम का संगठन बनाया है। इसका मठ और मंदिर से कोई संबंध नहीं। आनंद अक्सर विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए विदेश जाते रहते हैं।

Source link

Tags:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *