फ्लैट में अकेले रहती थीं ऊषा गुप्ता
जाटनी का बाग निवासी राधेश्याम गुप्ता सराफ थे। उनकी किनारी बाजार में दुकान थी। चार साल पहले बीमारी के चलते उनकी मृत्यु हो गई थी। पत्नी ऊषा गुप्ता फ्लैट नंबर 203 में अकेली ही रहती थीं। उनकी फ्लैट में हत्या करके बाहर से ताला लगा दिया गया था। उनका चार दिन से फोन नहीं लगने पर मंगलवार को फिरोजाबाद से भाई सुनील कुमार गुप्ता, भाभी मीरा गुप्ता, बहन सुनीता, बहनोई रामकुमार आए थे। उन्होंने पुलिस की मौजूदगी में ताला खोला था। कमरे में बेड पर ऊषा गुप्ता की लाश मिली थी। उनके मुंह से खून निकल रहा था। सिर पर कंबल बंधा हुआ था। कमरे में अलमारी खुली पड़ी थीं। बहन की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया।
बुधवार को पोस्टमार्टम हाउस पर आए भाई सुनील और भाभी मीरा गुप्ता ने बताया कि बहन ऊषा गुप्ता जिस फ्लैट में रहती थीं, उसका पूरा भुगतान कर दिया गया था। इस बारे में ऊषा ने उन्हें बताया था। मगर, बिचौलिये ने अब तक फ्लैट की रजिस्ट्री नहीं कराई थी। रजिस्ट्री के लिए बातचीत चल रही थी। वह हर बार टहला देता था। हत्या के बाद फ्लैट के एक कमरे और मुख्य दरवाजे पर बाहर से ताला लगाया था। इसके लिए आरोपी ताला और चाबी भी अपने साथ ही लाए थे। उनके ताले चाबी रखे हुए थे। एक बर्तन में कुछ पका हुआ मिला है, जिससे आशंका है कि ऊषा ने खाना खाने की तैयारी कर ली थी। मगर, वो खा नहीं सकी थी। उनका मोबाइल भी गायब है।
चर्चाओं में आया पुराना नाम
ऊषा गुप्ता की हत्या की घटना में पुलिस कई पहलुओं पर विवेचना कर रही है। पुलिस ने बताया कि ऊषा गुप्ता के फ्लैट पर कुछ लोगों की नजर थी। यह बात पूछताछ में निकलकर आई है। उनसे फ्लैट खाली करने के लिए कहा जा रहा था। एक नाम चर्चा में है। वह फ्लैट को लेकर बात कर रहा था। उसे बिकवाना चाहता था। जिस बिल्डिंग में ऊषा गुप्ता रहती थीं, उसमें सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। फ्लैट में आने वालों पर नजर रखने के लिए भी गैलरी में कैमरा है। मगर, बिल्डिंग के कैमरे खराब पड़े हैं। पुलिस ने बिल्डिंग के सामने एक गोदाम के फुटेज देखे। इस कैमरे से बिल्डिंग का गेट दिखता है। इसमें हर आने जाने वाला नजर आ रहा है। ऐसे में पुलिस पूरे दिन के फुटेज चेक कर रही है।
अपार्टमेंट में 18 फ्लैट हैं। ऊषा गुप्ता पहली मंजिल पर रहती थीं। इसी अपार्टमेंट में अधिवक्ता कपिल पंवार भी रहते थे। उनकी अक्तूबर 2020 में हत्या कर दी गई थी। उनका परिवार जा चुका है। अब दूसरी हत्या की घटना से अपार्टमेंट रहने वाले अन्य लोग चिंतित हैं। वह जल्द से जल्द घटना का खुलासा करवाना चाहते हैं, जिससे हत्यारोपी के बारे में जानकारी मिल सके।
परिचित के लिए ही खोलती थीं दरवाजा
जाटनी का बाग स्थित तीन मंजिला बिल्डिंग में रहने वाली ऊषा गुप्ता अपनी सुरक्षा के लिए पहले से चिंतित थीं। वह किसी अनजान के लिए फ्लैट का दरवाजा नहीं खोलती थीं। परिचित भी आते थे तो 15 मिनट तक बाहर खड़ा रहना पड़ता था। वह पहले खिड़की से देखती थीं। बाहर खड़े व्यक्ति के परिचित होने के बाद ही दरवाजा खोलती थीं। बिल्डिंग में रहने वाले लोगों और परिवार के लोगों ने यह जानकारी पुलिस को दी है। भाई सुनील ने बताया कि बहनोई राधेश्याम 15 साल से जाटनी का बाग में रह रहे थे। पति की मौत के बाद ऊषा गुप्ता ने रिश्तेदारी में जाना छोड़ दिया था। मगर, वो सुबह शाम मंदिर जाया करती थीं। खाना भी खुद ही बनाती थीं।