बीजेपी मिशन 2022 तक भगवा माहौल में नेता, सारे समीकरण योगी अखिलेश प्रियंका मायावती

यूपी भाजपा के लिए कितना खास है, इसका अंदाजा पार्टी की कारपोरेट बॉम्बिंग से लगाया जा सकता है। जिसके जरिए पार्टी जमीं से आसमां तक चुनावी फिजा को भगवा करने में जुटी है। खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने 35 दिनों में यूपी के हर हिस्से को मथ डाला है।

पूर्वांचल में कुशीनगर से 20 अक्तूबर को अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के उद्घाटन से लेकर गुरुवार को पश्चिम में जेवर एयरपोर्ट के भूमि पूजन तक उनके चुनावी तेवर साफ दिखे। इस बीच उन्होंने पूरब से पश्चिम और बुंदेलखंड तक लगातार कार्यक्रमों से क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों को साधने की भरपूर कोशिश की है।

चुनावी तिथियां घोषित होने में भले ही अभी वक्त हो मगर पार्टी ने अपने तमाम हैवीवेट नेताओं को यूपी के चुनावी समर में उतार दिया है। यह शायद पहला मौका है जब चुनावों से इतना पहले ही प्रधानमंत्री ने तमाम रैलियां और कार्यक्रम पूरे प्रदेश में किए हैं। यह उत्तर प्रदेश को लेकर भाजपा नेतृत्व की गंभीरता को दर्शाता है। यूपी के रण में जिस तरीके से पीएम मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के अलावा केंद्रीय मंत्रियों की पूरी फौज उतारी गई है, उससे साफ है कि केंद्रीय नेतृत्व ने चुनावी कमान संभाल ली है।

पूर्वांचल पर पूरा जोर

मोदी और भाजपा नेतृत्व भली-भांति जानते हैं कि पिछले कई चुनावों से यूपी की सत्ता का रास्ता पूर्वांचल से निकलता रहा है। फिर चाहे वह 2007 की मायावती सरकार हो, 2012 की अखिलेश सरकार या फिर 2017 की योगी सरकार, इन स्पष्ट बहुमत की सरकारों की ताजपोशी में पूर्वांचल की खास भूमिका रही है। मोदी ने अभी पूर्वांचल में तीन कार्यक्रम किए हैं। इनमें जनसभा व करोड़ों की सौगातें शामिल हैं।

राजा महेंद्र के बहाने जाटों पर डोरे

प्रधानमंत्री मोदी की एक रैली बृज क्षेत्र में भी हो चुकी है। बीते कई चुनावों से यह इलाका भाजपा का गढ़ रहा है मगर इस बार किसान आंदोलन के चलते जाटों में कुछ नाराजगी थी। ऐसे में अलीगढ़ में जाट राजा महेंद्र प्रताप विश्वविद्यालय की नींव रखकर उस इलाके के जातीय संतुलन को साधने का प्रयास किया गया है।

झांसी-महोबा से साधा बुंदेलखंड

बीते चुनाव में बुंदेलखंड से भाजपा को बड़ी सफलता मिली थी। इस बार पार्टी फिर यहां पुराना प्रदर्शन दोहराना चाहती है। यही कारण है कि पीएम ने 19 नवंबर को झांसी और महोबा में दो कार्यक्रम करके न सिर्फ तमाम सौगात दीं, बल्कि बुंदेलखंड की पथरीली भूमि में फिर कमल खिलाने के लिए अनुकूल माहौल बनाने का भी प्रयास किया।

अवध में मोदी-शाह के दौरे

यह पहला मौका था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह लगातार तीन दिन अवध क्षेत्र में रहे। लखनऊ में तीन दिन तक चली डीजीपी कांफ्रेंस में मौजूदगी के जरिए सूबे की सियासी तपिश को प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह ने करीब से महसूस करने की कोशिश की।

बूथ की व्यूह रचना में जुटे नड्डा, शाह और राजनाथ

भाजपा ने ‘बूथ जीता तो चुनाव जीता’ का नारा फिर बुलंद किया है। बूथ की व्यूह रचना में खुद भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह जुट गए हैं। तीनों को पार्टी के संगठनात्मक छह क्षेत्रों का जिम्मा भी बेहद सोच समझकर दिया गया है। पश्चिम की स्थिति को देखते हुए वहां के बूथ प्रबंधन का जिम्मा खुद अमित शाह संभालेंगे। तीनों नेताओं को क्षेत्र भी सोच-समझकर दिए गए हैं। राजनाथ लखनऊ से सांसद हैं और पूर्वांचल से आते हैं। ऐसे में उन्हें अवध और काशी का जिम्मा दिया गया है। वहीं नड्डा योगी के क्षेत्र गोरखपुर के साथ कानपुर व बुंदेलखंड का बूथ प्रबंधन खुद देख रहे हैं।

काशी में लगेगा चुनावी कुंभ

पीएम नरेंद्र मोदी का 13 दिसंबर को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण कार्यक्रम है। इसमें भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से लेकर देशभर के तमाम पार्टी दिग्गज, धर्माचार्य अलग-अलग कार्यक्रमों में जुटेंगे।

चुनाव के केंद्र में हैं मुख्यमंत्री योगी का फायर ब्रांड चेहरा

वर्ष 2022 के यूपी चुनाव के केंद्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का फायर ब्रांड चेहरा है। बीते डेढ़-दो महीने में योगी पूरब से पश्चिम और बुंदेलखंड तक लगभग पूरे प्रदेश का दौरा कर चुके हैं। हिन्दुत्व के बड़े चेहरे के साथ ही पार्टी योगीराज में कानून व्यवस्था में हुए सुधार को आधार बनाकर मुख्य विपक्षी दल सपा पर हमला बोल रही है।

पांच साल की सरकार को दो साल कोरोना से जूझना पड़ा मगर जनता को हिसाब तो पूरे कार्यकाल का देना है। हर सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी भी होती ही है। ऐसे में भाजपा संगठनात्मक गतिविधियों में तेजी लाने के साथ ही पार्टी विकास कार्य करने और उन्हें जनता को दिखाने पर फोकस कर रही है ताकि विपक्ष सत्ता विरोधी चीजों को बल न दे सके। भाजपा का एजेंडा भले हिन्दुत्व हो मगर वह विकास की चाशनी में लिपटा हुआ है। – प्रो. एपी तिवारी, राजनैतिक विश्लेषक

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