एसएन मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में पहुंचने वाले मरीजों को लंबी लाइनें भी दर्द दे रही हैं। जूनियर डॉक्टरों का कार्य बहिष्कार जारी है। डॉक्टर और सीनियर रेजीडेंट ओपीडी संभाल रहे हैं। स्टाफ कम होने से अपेक्षाकृत समय अधिक लग रहा है। ओपीडी में मरीज को घंटे भर तक इंतजार के बाद इलाज मिला, इस बीच वे कतार में खड़े-खड़े कराहते रहे। नीट पीजी काउंसिलिंग-2021 कराए जाने की मांग के संबंध में जूनियर डॉक्टर 27 नवंबर से ही ओपीडी में सेवाएं नहीं दे रहे हैं। शुक्रवार तक ओपीडी के कार्य बहिष्कार की घोषणा की है। मांग न मानी जाने पर शनिवार से वार्डों में भर्ती मरीजों को भी न देखने की चेतावनी दी है। मंगलवार को भी जूनियर डॉक्टर सुबह नौ बजे से ही ओपीडी बाहर विरोध प्रदर्शन पर बैठ गए। नीट काउंसिलिंग कराने और ओपीडी बंद करने के नारे लगाते रहे। हालांकि ओपीडी संचालित रही। जूनियर डॉक्टरों ने इसे बंद कराने का प्रयास नहीं किया।
मरीजों की पीड़ा: घंटे से भरे दिखाने के लिए बैठी हूं
पीठ में दर्द होने पर एसएन मेडिकल कॉलेज दिखाने आई थी। घंटे भरे से बैठी हूं। देवरानी लाइन में लगी है। अभी तक नंबर नहीं आया है। – रेशमा, मिढ़ाकुर
पर्चा के बाद ओपीडी में भी लाइन
पहले ऑनलाइन पर्चा बनवाने के लिए लाइन में लगना पड़ा। 15 मिनट में पर्चा बना। 20 मिनट से लाइन में लगेे हुए हो गया। पेट दर्द की शिकायत है। – मीना देवी, एटा
किसी को काम करने से रोक नहीं रहे
जूनियर डॉक्टर शांतिपूर्वक अपनी मांग रख रहे हैं। ओपीडी का बहिष्कार जरूर किया गया है लेकिन ओपीडी का संचालन नहीं रोका जा रहा है। मरीजों को परेशान करना उद्देश्य नहीं है। – डॉ. अनुराग मोहन, अध्यक्ष, फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर एसोसिएशन
प्रदर्शन छोड़ इमरजेंसी सेवा देने जा रहे
जूनियर डॉक्टर प्रदर्शन में शामिल होने से पहले वार्डों में भर्ती मरीजों को देखकर आते हैं। इमरजेंसी में लगे जूनियर डॉक्टरों को प्रदर्शन में शामिल होने से रोका गया है। मैं खुद प्रदर्शन छोड़कर इमरजेंसी सेवाएं देने जाता हूं। – डॉ. अनुपम सिंह यादव, उपाध्यक्ष, फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर एसोसिएशन