क्राइम की राह पर क्यों चले पहलवान सुशील कुमार, खुला राज!

नई दिल्ली. पौराणिक कथाओं में कुश्ती का जिक्र बतौर मल्लयुद्ध किया गया है. हमारे देश में रेसलिंग (Wrestling)  यानी कुश्ती का लंबा इतिहास रहा है. पिछले एक दशक में हमारे कई रेसलर्स ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि ओलंपिक (Olympics) में भी देश का मान-सम्मान बढ़ाया है. ये तो रेसलिंग का वह पहलू है जिस पर हर देशवासी को गर्व है, लेकिन पिछले कुछ वक्त में इसी खेल का एक ऐसा पक्ष भी सामने आया है जिसको देख-सुन कर हर कोई दहल गया. जी हां, देश के नामचीन पहलवान या तो डोपिंग केस (Doping Case) में फंसे या कुछ पर आपराधिक वारदात में शामिल होने के आरोप लगे. बस कुश्ती के इसी शर्मनाक पहलू को खंगालने के इरादे से हमारी टीम कुश्ती के गढ़ माने जाने वाले हरियाणा के सोनीपत पहुंची. हमारी तफ़्तीश के दौरान कैमरे पर जो कुछ रिकॉर्ड हुआ उसे देख कर हम भी हैरान रह गए.

हमारी टीम को जानकारी मिली थी कि आजकल ज़्यादातर पहलवान खेल छोड़कर बाउंसर बन जाते हैं या कुख्यात गैंगस्टर से जुड़कर अपराधी बन रहे हैं. कुश्ती से जुड़े इसी शर्मनाक पहलू को खंगालने हमारी ख़ुफ़िया टीम सोनीपत पहुंची थी. दिल्ली से सटे सोनीपत को पहलवानों का गढ़ माना जाता है. यहां 100 से भी ज़्यादा अखाड़े हैं. यहां एक प्राइवेट अखाड़े में हमारी मुलाकात महाबीर प्रसाद बिश्नोई से हुई, जो SAI यानी स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया में चीफ कोच हैं. इन्होंने सुशील कुमार से लेकर देश के कई मशहूर पहलवानों को रेसलिंग की ट्रेनिंग दी है. इनकी काबलियत को देखते हुए सरकार साल 2014 में इनको द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित भी कर चुकी है. हमने उनसे पूछा कि रेसलिंग के खेल में अपराध क्यों बढ़ता जा रहा है तो उनका जवाब हैरान करने वाला था.

पहलवान को मिली पॉपुलैरिटी तो…

महाबीर प्रसाद ने बताया कि ‘सुशील कुमार मेरे साथ बहुत रहा ओलंपिक टाइम में, पटियाला में मैं सुशील का जूनियर कोच था. एक ही कमरे में हम रहे हैं. ओलंपिक में जाने से तीन महीने पहले तक लगातार मेरे साथ पूरा दिन ताश खेलता था. लेट ऐज में आने के बाद वह ‘कुछ पीने’ लग गया, थोड़ा अग्रेसिव माइंड का हो गया था. पॉपुलैरिटी, मान-सम्मान, पावर मिल गई उसका मिस यूज़ करते-करते उसने ये स्टेप उठाया…!’ कोच महाबीर की मानें तो रेसलिंग से जुड़े खिलाड़ियों के शिक्षित न होने की वजह से वो बहक जाते हैं और ओलंपियन पहलवान सुशील कुमार के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ.

खेल में नहीं चलता शॉर्ट-कट

News 18 पर कुश्ती को लेकर कोच या अन्य पदाधिकारियों ने सनसनीखेज खुलासा नहीं किया, बल्कि कई ऐसे राज भी उजागर किए जिसे सुनकर इस खेल में ‘खेल’ की परतें उधड़ती चली गईं. कोच महाबीर प्रसाद के सहयोगी सीनियर कोच ओपी दहिया ने भी कहा कि इस खेल में पद, पैसा और सम्मान इतना ज़्यादा बढ़ गया है कि अब हर कोई इस खेल में आना चाहता है और जिसको सफलता नहीं मिलती, तो गलतियां कर बैठता है. इसके अलावा सरकारी अफसरों ने भी इस खेल में शॉर्टकट और फिर अपराध के पनपने के कारणों का खुलासा किया.

गलत दिशा में जाने का खतरा

सोनीपत के DSO प्रदीप ने News 18 के साथ बातचीत में कहा कि आजकल जो खिलाड़ी आ रहे हैं, वे जल्दी पहलवान बनना चाहते हैं. कम समय में ज्यादा कुछ करना चाहते हैं. कोई बादाम नहीं खाना चाहता, दूध नहीं पीना चाहता, मानते ही नहीं…, कौन फ्रूट काटे, कौन जूस निकाले…कैलकुलेशन कर लेते कि एक जूस से क्या होगा… और सप्लीमेंट ले लेते हैं. ये जो सप्लीमेंट होते हैं या स्टीरॉयड हैं जो बीपी हाई कर देते हैं. बीपी हाई का मतलब अग्रेशन… जिसे वह खेल में इस्तेमाल करना चाहते हैं, लेकिन कई बार यह खिलाड़ी को निगेटिव डायरेक्शन में लेकर चली जाती है. News 18 के इस स्पेशल वीडियो में आप खेल और खिलाड़ियों के जीवन के स्याह पहलुओं के बारे में और भी विस्तार से जान-समझ सकते हैं.

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