कोलाघाट पुल : सेतु निगम के एमडी जांच के लिए पहुंचे, जांच के बाद लखनऊ पहुंचकर उच्चस्तरीय जांच की कही

शाहजहांपुर- टूटे कोलाघाट पुल का निरीक्षण करते लखनऊ से आए सेतु निगम व लोनिवि के अधिकारी। संवाद
जलालाबाद। कोलाघाट पुल गिरने के मामले की जांच बुधवार को लखनऊ से आई सेतु निगम तथा लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की टीम ने संयुक्त रूप से की। करीब एक घंटे की जांच के बाद भी अधिकारी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। अब मृदा परीक्षण की रिपोर्ट आने के बाद ही पुल गिरने का कारण पता चलने की संभावना है। मृदा परीक्षण करने वाली टीम पहुंच गई है मगर उसकी रिपोर्ट मिलने में अभी लगभग एक सप्ताह का इंतजार करना होगा। उधर, लखनऊ पहुंचकर एमडी ने उच्चस्तरीय जांच कराने की बात कही।
29 नवंबर को जलालाबाद से मिर्जापुर व कलान को जोड़ने वाले कोलाघाट पुल का पिलर नंबर सात धंस गया था। इससे पुल तीन हिस्सों में टूट गया था। पिलर के ऊपर की सेतु का करीब दो सौ मीटर हिस्सा जमीन पर गिर गया था। मामले को गंभीरता से लेते हुए शासन ने जांच के आदेश दिए थे। बुधवार को सेतु निगम के एमडी योगेश पवार, लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता एमएम निसार, मुख्य अभियंता अशोक अग्रवाल, सेतु निर्माण निगम के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर देवेंद्र कुमार सिंह, डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर बिजेंद्र कुमार मौर्य के अलावा दोनों विभागों के कई अभियंता मौके पर पहुंचे। टीम ने जांच शुरू की। करीब एक घंटे से ज्यादा समय तक रुके इन अधिकारियों ने आपसी विचार-विमर्श किया लेकिन पुल गिरने का प्रथम दृष्टया कोई कारण समझ में नहीं आया। दरअसल, पूरा पिलर धंसने के बाद उसके ऊपर सेतु का हिस्सा जमीन पर पड़ा हुआ है। इस वजह से पिलर के स्थान तक पहुंचना संभव नहीं हो पा रहा है। इसके बाद अधिकारियों में मृदा परीक्षण की रिपोर्ट मिलने पर ही जांच आगे बढ़ाने पर सहमति बनी। जांच के दौरान अधिकारी इस बात से आश्चर्य दिखे कि आखिर पिलर कैसे पूरा जमीन में धंस गया।
एक अन्य टीम ने भी की जांच
दिल्ली की प्राइवेट कंपनी टंडन कंसल्टेशन के सीईओ विनय गुप्ता, प्रयागराज से आए सेतु निगम के जेएमडी आरके सिंह, सेतु निर्माण निगम फर्रुखाबाद इकाई के डीपीएम अरुण कुमार समेत अन्य विभागीय कर्मचारियों की टीम ने भी मौके पर पहुंचकर जांच की। अधिकारियों ने स्थिति का आकलन किया। विनय गुप्ता ने बताया कि पुल के कुएं का धंस जाने का यह मामला उनके लिए नया है। यह सामान्य बात नहीं है। गहनता से जांच के बाद ही किसी सही निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है।
मौजूदा स्थिति में एकदम किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता। जिस स्थान पर पिलर धंसा है, वह पूरा हिस्सा पुल के बड़े हिस्से के नीचे दबा हुआ है इसलिए बोरिंग से गड्ढा करने के बाद वहां की मिट्टी का परीक्षण किया जाएगा। इसके लिए जरूरत हुई तो उस स्थान पर पड़े पुल के हिस्से को हटवाया जाएगा। रिपोर्ट मिलने के बाद पूरे पुल के निर्माण कार्य की जांच होगी जिसकी रिपोर्ट शासन को सौंप दी जाएगी। शासन से मिलने वाले अगले आदेश के अनुरूप कार्य किया जाएगा।
– योगेश पवार, एमडी, सेतु निगम

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