शाहजहांपुर। जलालाबाद-मिर्जापुर के बीच रामगंगा व बहगुल नदी पर बने कोलाघाट पुल का पिलर समेत एक हिस्सा ढह जाने की सूचना पर सोमवार दोपहर बरेली से सेतु निर्माण निगम के अभियंताओं की टीम कोलाघाट पहुंची। हालांकि शुरुआती जांच में टीम किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी। लेकिन माना जा रहा है कि गत माह भारी बारिश के बाद रामगंगा में आई बाढ़ के दौरान पिलर के पास की मिट्टी कट जाने से पुल ढह गया।
लोक निर्माण विभाग के सूत्रों के अनुसार 1.8 सौ किलोमीटर लंबे और डबल लेन वाले कोलाघाट पुल वर्ष 2009 में आवागमन शुरू हुआ था। सेतु निर्माण निगम की बरेली इकाई ने पुल बनाकर तैयार किया। तबसे पुल की ऊपरी हिस्से की कंक्रीट कई बार उखड़ने और सरिया दिखाई देने पर उसकी जगह-जगह मरम्मत भी कराई जा चुकी है। हाल ही में कोलाघाट पुल पर करीब दो सप्ताह तक यातायात रोक कर वृहद स्तर पर मरम्मत कार्य कराया गया। इसलिए अब मौसम सामान्य होने पर पुल का पिलर अचानक ढहने के कारण अभियंताओं की समझ में भी नहीं आ रहा है कि ऐसा क्यों हुआ।
लोक निर्माण विभाग के प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता आरके पिथौरिया के अनुसार आम तौर पर बड़े पुलों के पिलर बनाते वक्त उनके कुओं की गहराई 30 से 35 मीटर रखी जाती है। हालांकि पिलर के कुएं की गहराई उस स्थान की मिट्टी की जांच पर निर्भर करती है। मिट्टी की जांच से ही ये पता चलता है कि वहां की जमीन कितना भार वहन की क्षमता रखती है। यदि जांच में मिट्टी की भार वहन क्षमता कम पाई जाती है तो उसी अनुपात में कुओं की गहराई बढ़ाने के साथ निर्माण के अन्य मानक भी बदल जाते हैं। एक्सईएन पिथौरिया के अनुसार यह जांच का विषय है कि कोलाघाट पुल के पिलर्स की गहराई कितनी रखी गई है। इधर, सेतु निर्माण निगम की बरेली इकाई के यूनिट हेड ब्रजेंद्र मौर्य के अनुसार तकनीकी जांच अभी शुरू हुई है और उसे पूरा होने में वक्त लगेगा। लोनिवि निर्माण खंड-1 के अधिशासी अभियंता राजेश चौधरी के अनुसार पुल के पास लगा शिलान्यास का पत्थर उखड़ जाने के कारण इसकी निर्माण तिथि और लागत का ब्योरा अभी नहीं मिल सका है। डाटा जुटाया जा रहा है।