नई दिल्ली. दक्षिण अफ्रीका में इस सप्ताह सामने आए कोरोना वायरस के नए स्वरूप बी.1.1.529 (Coronavirus New Variant B.1.1.529) ने दुनियाभर के लिए चिंता पैदा कर दी है. इस स्वरूप के बारे में दक्षिण अफ्रीकी वैज्ञानिकों का कहना है कि देश के सर्वाधिक जनसंख्या वाले प्रांत गौतेंग में महामारी के मामलों में हालिया वृद्धि के लिए यही उत्परिवर्तित स्वरूप जिम्मेदार हो सकता है. यह स्पष्ट नहीं है कि नया स्वरूप वास्तव में कहां से आया है, लेकिन पहली बार दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने इसका पता लगाया और हांगकांग तथा बोत्सवाना के यात्रियों में भी इसका संक्रमण देखा गया है.
इस नए स्वरूप के सामने आने के बाद वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि वायरस के नए स्वरूपों की संख्या बढ़ सकती है जो टीका के प्रति अधिक प्रतिरोधी हो सकते हैं और उनके प्रसार की दर और अधिक हो सकती है व कोविड-19 के गंभीर लक्षण वाले मामलों में वृद्धि हो सकती है. वैज्ञानिकों ने वायरस के इस स्वरूप को ‘बेहद खतरनाक’ बताया है. हालांकि इसकी संक्रामकता, वैक्सीन के असर और इसके प्रसार को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं, जिनके जवाब विशेषज्ञ ढूंढने में लगे हैं.
WHO ने क्या कहा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) में संक्रामक बीमारी महामारी और कोविड-19 तकनीकी समूह का नेतृत्व कर रही मारिया वान केरखोवे ने बताया कि अबतक मिली जानकारी के मुताबिक यह स्वरूप सबसे अधिक बदलाव की वजह से उत्पन्न हुआ है. सबसे पहले इसकी पहचान इस हफ्ते दक्षिण अफ्रीका में की गई थी और पहले ही बोत्सवाना सहित कई पड़ोसी देशों में फैल चुका है. वहां पता चला है कि वायरस का यह स्वरूप पूरी तरह से टीकाकरण करा चुके लोगों में मिला है.
केरखोवे ने बृहस्पतिवार को बताया, “100 से भी कम स्वरूप का जीनोम अनुक्रमण उपलब्ध है. हम इसके बारे में अबतक नहीं जानते हैं. हम यह जानते हैं कि इस स्वरूप में अनुवांशिकी रूप से अधिक बदलाव हुए हैं. और जब कई स्वरूप होते हैं तो चिंता होती है कि कोविड-19 वायरस के व्यवहार पर यह कैसे असर डालेगा.” उन्होंने कहा कि अनुसंधानकर्ता मिलकर यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि ये बदलाव और स्पाइक प्रोटीन कहा हैं और इनका पता लगाने की पद्धति, इलाज और टीका क्या हो सकता है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने जताई चिंता, नए स्वरूप का अध्ययन करने में जुटे
दुनियाभर के स्वास्थ्य विशेषज्ञ वायरस के इस स्वरूप को लेकर चिंतित हैं और इसका अध्ययन करने में लगे हैं. बीबीसी के मुताबिक दक्षिण अफ्रीका में सेंटर फॉर एपिडेमिक रेस्पॉन्स एंड इनोवेशन के निदेशक प्रोफेसर टुलियो डी ओलिवेरा ने बताया कि कोरोना के इस स्वरूप में बहुत ज्यादा म्यूटेशन हैं. उन्होंने कहा, “कोविड-19 के नए स्ट्रेन में ‘म्यूटेशन का असामान्य समूह’ है और यह अन्य वेरिएंट से ‘काफी अलग’ है. इस वेरिएंट ने हमें हैरान कर दिया है, ये हमारी उम्मीदों के विपरीत बहुत बड़ा बदलाव है.”
प्रोफेसर ओलिवेरा ने आगे कहा, ‘नए स्वरूप में कुल 50 म्यूटेशन हुए हैं और 30 से अधिक म्यूटेशन को स्पाइक प्रोटीन में हुए हैं.” आपको बता दें कि वैक्सीन प्रोटीन पर हमला करते हैं और इन्हीं के माध्यम से वायरस भी शरीर में प्रवेश करता है. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में जेनेटिक्स इंस्टिट्यूट के निदेशक फ्रेंकोइस बलौक्स ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका और विशेष रूप से इसके गौतेंग प्रांत में कोविड-19 के मामलों में तीव्र वृद्धि चिंताजनक है.
नए स्वरूप पर वैक्सीन कितनी असरदार?
यह बिल्कुल भी जरूरी नहीं है कि म्यूटेशन हमेशा शरीर के लिए घातक हो. हालांकि यह इस बात पर निर्भर करता है कि वास्तव में नए स्वरूप में क्या-क्या म्यूटेशन हुए हैं. लेकिन इस बार कोरोना का जो नया स्ट्रेन मिला है, उसने स्वास्थ्य विशेषज्ञों में चिंता बढ़ा दी है क्योंकि यह वायरस चीन के वुहान में मिले मूल वायरस से एकदम अलग है. इसका मतलब साफ है कि वुहान में पाए गए वायरस को ध्यान में रखकर बनाई गई वैक्सीन का असर कोरोना के नए वेरिएंट बी.1.1.529 पर शायद ना हो.
ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में कोविड-19 संबंधी आनुवंशिक अनुक्रमण कार्यक्रम का नेतृत्व करने वाली शेरोन पीकॉक ने कहा कि यह पता करने में अभी कई सप्ताह लगेंगे कि नए स्वरूप के खिलाफ मौजूदा कोविड रोधी टीके प्रभावी हैं या नहीं. पीकॉक ने यह भी कहा कि इस बात का कोई संकेत नहीं है कि इस स्वरूप से अधिक घातक बीमारी होती है. दक्षिण अफ्रीका में यूनिवर्सिटी ऑफ क्वाज़ुलु-नटाल में प्रोफेसर रिचर्ड लेसल्स ने कहा, “वैक्सीन के असर ना करने से वायरस की एक से दूसरे व्यक्ति में फैलने की क्षमता बढ़ सकती है. इसके साथ ही ये प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) को भी चकमा दे सकता है.”
बीटा से ज्यादा घातक साबित हुआ था डेल्टा वेरिएंट
विशेषज्ञों ने बताया कि कोरोना के कुछ ऐसे वेरिएंट भी हमारे सामने आए थे, जिन्हें काफी घातक बताया गया था, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं. उदाहरण के तौर पर साल के आरंभ में जब बीटा वेरिएंट ने दस्तक दी, तो उसे चिंता का कारण बताया गया क्योंकि ये प्रतिरक्षा तंत्र को चकमा देने में अधिक माहिर था. हालांकि बाद में डेल्टा वेरिएंट ने पूरी दुनिया में फैल अपना विकराल असर दिखाया. इस बारे में यूनिवर्सिटी ऑफ केम्ब्रिज के प्रोफेसर रवि गुप्ता ने बीबीसी को बताया कि बीटा वेरिएंट में प्रतिरक्षा तंत्र से बचने की क्षमता थी, लेकिन इसके विपरीत डेल्टा वेरिएंट अधिक संक्रामक था और उसमें प्रतिरक्षा तंत्र से बचने की क्षमता भी बीटा के मुकाबले कम थी.
कोरोना के नए स्वरूप के कितने मामले
कोरोना वायरस के नए स्वरूप की सबसे पहले पहचान इस हफ्ते दक्षिण अफ्रीका में की गई थी और पहले ही बोत्सवाना सहित कई पड़ोसी देशों में फैल चुका है. वहां पता चला है कि वायरस का यह स्वरूप पूरी तरह से टीकाकरण करा चुके लोगों में मिला है. वर्तमान में दक्षिण अफ़्रीका के गाउटेंग में 77, बोत्स्वाना में चार और हांगकांग में एक मामले की पुष्टि हुई है.