अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तर प्रदेश में कांग्रेस टूटती हुई नजर आ रही है। ये तब हो रहा है जब प्रियंका गांधी की अगुवाई में पूरे प्रदेश में कांग्रेस को लेकर एक अलग माहौल बनने लगा है। ऐसे में क्या पार्टी के पुराने और कद्दावर नेताओं का साथ छोड़ना किसी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है?
चुनाव से ठीक पहले 10 नेताओं के पार्टी छोड़ने से प्रियंका गांधी को बड़ा झटका लगा है।
सोनिया गांधी के गढ़ रायबरेली से विधायक अदिती सिंह ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ले ली है। पिछले छह महीने के अंदर 10 बड़े कांग्रेसी नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। इनमें छह नेताओं ने समाजवादी पार्टी, दो ने भाजपा और दो ने टीएमसी का दामन थाम लिया है।
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक के बाद एक कई दिग्गज नेताओं का पार्टी छोड़ना कांग्रेस के लिए अच्छा संदेश नहीं है। सवाल ये भी उठ रहा है कि आखिर कौन है जो कांग्रेस को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है? कभी कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहने वाली समाजवादी पार्टी और टीएमसी क्यों कांग्रेस के नेताओं को तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल करा रहे हैं? क्या ये प्रियंका गांधी को कमजोर करने की कोई राजनीतिक रणनीति है? सिलसिलेवार पढ़िए इन छह महीनों के अंदर उत्तर प्रदेश के किन-किन नेताओं ने कांग्रेस छोड़ी है और प्रियंका गांधी के नेतृत्व पर राजनीतिक विशेषज्ञों का क्या मानना है?