इंदौर. इंदौर की राजेन्द्र नगर थाना पुलिस ने शातिर कार चोर (Car Thief) को गिरफ्तार कर उसके गैंग (Gang) का पता लगा लिया है. गैंग का मास्टर माइंड सिर्फ चौथी पास है लेकिन वो कार चुराने के लिए सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करता था. चोरी इतनी शातिराना तरीके से कि सुनकर दंग रह जाएंगे. पूरा गैंग राजस्थान का है जो देश के अलग अलग इलाकों से लग्जरी कार चुराता है. चोरी की कार का इस्तेमाल सीमा पर तस्करी में करता था और फिर उसे औने पौने दाम पर बेच देता था.
स्कीम नंबर 103 में रहने वाले भारत आहूजा की लग्जरी कार मंगलवार सुबह बदमाशों ने चोरी कर ली. चोरी का पता उस वक्त लगा जब वो अपनी बेटी को स्कूल छोड़ने निकले. उन्होंने फौरन राजेन्द्र नगर पुलिस को सूचना दी. उसके बाद पुलिस ने महज तीन घंटे में ही कार और चोर को पकड़ लिया.
ऐसे किया पुलिस ने पीछा
सुबह करीब पांच बजकर चार मिनिट पर कार चोरी हुई और छह बजकर 15 मिनट पर फरियादी भारत आहूजा राजेंद्र नगर थाने पहुंचे. थाना प्रभारी अमृता सोलंकी ने अपने थाने की टीम को सक्रिय किया और आसपास के संभावित जिलों की सीमा को अलर्ट कर दिया. जैसे ही गाड़ी बेटमा के करीब स्थित मतवाडा टोल से क्रॉस हुई पुलिस टीम ने आगे की टीम को अलर्ट कर दिया. इसके बाद बदमाशों ने रास्ते में रुक कर कुछ ही मिनटों में नंबर प्लेट बदल ली. अब गाड़ी पर हरियाणा का नंबर था. इसलिए आगे की टीम भ्रमित हो गई. लेकिन लगातार पीछा कर रही पुलिस टीम ने मंदसौर के करीब स्थित दलौदा पुलिस को सूचना की. पुलिस ने हाई वे पर सड़क जाम जैसी स्थिति कर दी. बदमाश गाड़ी छोड़कर भाग गया. पुलिस ने पीछा किया और एक ऊंची इमारत पर चढ़कर देखा. बदमाश खेत में छुपा दिखा. बस पुलिस ने गांव वालों की मदद से उसे पकड़ लिया.
इंदौर -हाईटेक चोर गिरफ्तार, चंद मिनटों में सॉफ्टवेयर के माध्यम से सिक्युरिटी डिफ्यूज कर चुराते थे लक्जरी वाहन,कार चोरी के तीन घण्टे के भीतर 200 km दूर पुलिस ने आरोपियों को किया गिरफ्तार
— vikas singh Chauhan🇮🇳 (@vikassingh218) December 1, 2021
चौथी पास शातिर चोर
गिरोह में शामिल पप्पू चौथी पास है जो एक विशेष सॉफ्टवेयर से तत्काल सिक्युरिटी अलार्म डिफ्यूज कर देता है और सेंट्रल एक्सेस अपने हाथ में ले लेता है. दूसरी गाड़ी में ही बैठकर वह गाड़ी का लॉक खोलता था और दूसरा साथी गाड़ी स्टार्ट कर ले भागता था. बदमाश चोरी की कार को बॉर्डर पर तस्करी के काम में इस्तेमाल करते थे और फिर उसे औने पौने दाम पर दूसरे राज्यों में बेच देते थे.
राजस्थान का है गैंग
गिरफ्तार आरोपी श्रवण विश्नोई है जो राजस्थान के जालौर जिले का रहने वाला है. आरोपी ने पूछताछ में कबूल किया कि यह राजस्थान की गैंग है जो सिर्फ चार पहिया कार ही चुराती है. गिरोह का सरगना गणपत है और उसके साथी पप्पू, श्रवण, सोएल और बंशी हैं. सभी राजस्थान के रहने वाले हैं. ये गैंग कार चुराने के आरोप में इससे पहले गुजरात में गिरफ्तार किया जा चुका है.
3 घंटे में सुलझा केस
चोरी की ये वारदात तीन घंटे में ही सुलझा ली गयी. इंदौर शहर में अब तक क्रेटा, फॉर्च्यूनर जैसी कई लग्जरी गाड़ियां चोरी जा चुकी थीं. राजेंद्र नगर थाना इलाके के ही नेमा नगर में 10 दिन पहले भी एक कार चोरी हुई थी. इसके बाद राजेंद्र नगर पुलिस ने इलाके में लगे सौ से ज्यादा सीसीटीवी खंगाले थे. उससे अंदाज लग गया था कि बदमाश किन रास्तों से भागते हैं. किन किन रूट से बदमाश भाग सकते हैं. इसलिए इस बार चोरी होते ही पुलिस ने गैंग का पता लगा लिया.
भाड़े का ड्राइवर
आरोपी ने कबूल किया कि वो तो मात्र भाड़े का चालक है जो सिर्फ गैंग का सहयोग गाड़ियों को एक से दूसरी जगह छोड़ने के लिए करता है. इसके एवज में हर बार दस हजार रूपये भी मिलते हैं. गिरोह अक्सर ऐसे लोगों को ही खास चिन्हित करता है जो तेज गाड़ी चलाते हैं उन्हें ज्यादा पैसे भी दिए जाते हैं.
सिर्फ whatsapp call
शातिर गैंग एक दूसरे से whatsapp कालिंग कर ही बात करते हैं., ताकि पुलिस उनकी लोकेशन ट्रेस नहीं कर सके है. जांच में पता चला है कि जिन दिनों में लक्जरी कार चोरी हुई हैं उन दिनों इस गैंग का मूवमेंट इंदौर में ही था. इसलिए आशंका है कि इसी गैंग ने बाकी गाड़िया भी चुरायी हैं. बदमाश ने अब तक तीन राज्यों से 20 से अधिक कार चुराने की बात कबूल की है. पुलिस अब गिरोह के अन्य चार फरार सदस्यों की भी तलाश कर रही है.
पुलिस का बयान
राजेंद्र नगर थाना प्रभारी अमृता सोलंकी के मुताबिक स्कीम नंबर 103 में रहने वाले आहूजा ने शिकायत की थी उनकी लक्जरी कार चोरी हुई है. उनकी शिकायत पर केस दर्ज कर जांच शुरू हुई और आस पास की टीम को अलर्ट किया गया. मंदसौर के पास दलोदा में एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है. गिरोह के मुख्य सरगना समेत कुल चार अन्य आरोपी फिलहाल फरार हैं. यह राजस्थान की बड़ी गैंग है जो देश के विभिन्न राज्यों में कार चोरी की वारदात को अंजाम देती है. चोरी की हुई कारों से तस्करी की जाती थी और उन्हें फिर सस्ते दामों में बेच दिया जाता था.